पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/३४

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के संबंध में दृढ़चित हो की थी, उतनी किसी ने भी नहीं की, ऐसा कहना कुछ भी अनुचित नहीं, परंतु उनके जन्म का ठीक ठीक पता इनको भी नहीं लगा। पुराने इतिहासों के हिंदी भाषा में न लिखे जाने का ही यह एक मुख्य कारण है। तथापि हम अपने एक विद्वान और परिश्रमी मित्र पंडित पुरुषोत्तम जी को अनेक हार्दिक धन्यवाद देते हैं कि आपने इस विषय को मराठी भाषा में लिख अत्यंत श्रम उठाया है। आपने लिखा है कि राय बहादुर पारसनीस ने इस विषय में खोज करते करते अपने जीवन का अधिकांश भाग व्यतीत कर दिया था। स्वयं उन्होंने कई प्रमाणों से सिद्ध तथा निश्चय किया है कि अहिल्याबाई का जन्म सन् १७२३ ईसवी में हुआ था।

औरंगाबाद जिले के बीड तालुका के चोंट नामक गाँव में रहनेवाले मानको जी शिंदे के यहाँ इस जगतप्रख्यात कन्यारत्न का जन्म हुआ था। ये रूप में अधिक सुंदरी न थीं। इनके शरीर का रंग साँवला और डील डौल मध्यम श्रेणी का था। परंतु उनके कमल सदृश मुख पर एक ऐसी तेजोमय ज्योति विराजती थी कि जो उनके हृदय के गुणों को स्वयं प्रकाशित करती ती। इस समय महाराष्ट्रा में अधिक पठन पाठन की रीति प्रचलित न थी, तथापि अहिल्याबाई के पिता ने इनको कुछ पढ़ाया था। ये बचपन ही से पाप से भय खातीं और पुण्य में मन लगाती थीं। इस छोटी अवस्था में इनमें एक अद्वतीय गुण यह भी था कि जब तक ईश्वर-पूजन और पुराण श्रवण न हो जाय, तब तक वे भोजन नहीं करती थीं।