पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/२६

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नियमों के अनुसार मुजरा किया और एक ओर हट कर खड़े हो गए । अनुभवी पेशवा सरकार ने जिनको मनुष्य के देखने मात्र से यह प्रतीत हो जाता था कि उसमें क्या विशेषता है, इनको लक्ष्यपूर्वक कई बार निरीक्षण किया और थोड़े काल तक वार्तालाप करके आज्ञा दी कि कल से इस नवयुवक योद्धा को प्रति दिन प्रातःकाल और सायंकाल हमसे मिलना चाहिए। आज्ञानुसार मल्हारराव नियमित समय पर प्रति दिन पेशवा सरकार के समक्ष पहुँचने लगे, और जब उनको मल्हारराव की योग्यता और सच्ची स्वामि भक्ति का पूर्ण विश्वास हो गया, तब सन १७२४ इसवी में उन्होंने इनको खिलत प्रदान कर सम्मानित किया. और फौज का सुबेदार बनाकर मालवा और खानदेश का अधिकारी नियत किया और आज्ञा दी कि दोनों प्रांतों की आमदनी में से अपनी आश्रित फौज के संपूर्ण खर्च को निकाल कर बचत का रुपया प्रति वर्ष पेशवा सरकार के कोष में जमा कर ले जाया करो ।

इस समय सारा मालवा प्रांत निजाम सरकार के अधिकार में था । इस कारण निजाम की ओर से गिरधर बहादुर नाम का एक बड़ा शूर और कुशल नागर ब्राह्मण इस प्रांत का अधिकारी नियत था। गिरधर बहादुर इस प्रांत में पेशवा की कुछ भी नहीं चलने देता था । इस विशेष कारण से पेशवा सरकार ने मल्हारराव होलकर, भोसले और पवार को इस प्रांत का आधिपत्य हस्तगत करने के लिये चुना था । परंतु वीर मल्हारराव के अतिरिक्त किसी का भी हियाव गिरधर बहादुर के इस प्रांत में रहते हुए उसमे हस्तक्षेप करने का न