पुत्री दे जन्म भर दुःखी नही बनूंगा । परंतु भोजराज के अनेक प्रकार से समझाने बुझाने पर वह, राजी हो गई और गौतमा का विवाह मल्हारराव के साथ होना निश्चित होगया । इसके पश्चात् थोड़े ही समय के बाद गौतमा का विवाह मल्हारी के साथ कर दिया गया ।
इस समय मुगलों के अत्याचार से विशेष कर राज-पूताने की दशा बहुत ही शोकजनक हो रही थी । जिस वीर-वर बाबर ने हिंदुओं को सर्वदा संतुष्ट रखने की इच्छा की थी, जिनकी मान मर्यादा को अटल रखने के लिये उसके वंशवाले सदा उद्योग करते थे, आज औरंगजेब के कठोर अत्याचार से उनके हृदय में भयंकर घाव उत्पन्न हो गया था, उसे कोई भी आरोग्य न कर सका । उन समस्त घावों की भयंकर पीड़ा से दु खित हो राजपूतों ने विप जान कर मुगल बादशाह से सबंध तोड़ दिया था। इस समय पराक्रमी सिक्खों के उदाहरण का दृष्टांत लेकर राजपूतों ने मुगलों की अधीनतारूपी जजीर को तोड़ने का विचार किया था, क्योंकि दुष्ट लोग समस्त राजपूताने के राज्य और द्रव्य को भूखे सिंह के समान, राज्य और द्रव्य रूपी रक्त को चूस चूस कर अघा रहे थे और दक्षिण में भयंकर पराक्रमी महाराष्ट्रीय लोगों की संतान, जिनके पूर्वजों के रोम रोम को वीरकेशरी शिवाजी ने मंत्र से दीक्षित कर स्वाधीनता प्राप्त करने के विचार में व्याप्त कर दिया था,
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• मामी की लड़की के साथ ब्याह होना मरहठों में प्रचलित है।