बदरीनाथ— गढ़वाल जिले में बदरीनाथ अलकनन्दा नदी के तीर पर यह स्थान है। भारत के चार प्रसिद्ध धामों में से उत्तरीय सीमा के निकट बदरिकाश्रम एक धाम है। यहाँ पर चहुँ ओर पर्वत के ऊपर सर्वत्र बर्फ जमा रहता है और शीत काल में भूमि और मकानों पर सर्वत्र बर्फ का ढेर लग जाता है। नदी की ढालू भूमि पर उत्तर से दक्षिण तक तीन चार पंक्तियों में नीचे ऊपर एक तथा दो मंजिले मकान बने हैं। उनमें बहुतेरी धर्मशालाएँ हैं। इन मकानों के ढालू छप्परों पर काठ के तख्ते जड़े हुए हैं। और किसी किसी मकान पर भोजपत्र बिछाकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाई हुई है। यहाँ सैकड़ों यात्री प्रति दिन पहुँचते हैं और एक दो रात निवास कर के चले जाते हैं। इस स्थान पर बाई का एक सदावर्त भी हैं।
केदारनाथ— गढ़वाल जिले में हरिद्वार से १४७ मील के अंतर पर मंदाकिनी और सरस्वती दोनों नदियों के मध्य में अर्धाकार भूमि पर समुद्र की सतह से ११००० फुट की ऊँचाई पर केदारपुरी है। यहाँ पर बड़े बड़े साठ मकान बने हैं। इनमें १८ धर्मशालाएँ हैं। बहुतेरे मकानों में सर्दी से बचने के हेतु भूमि पर तख्ते लगा दिये गये हैं। यहाँ पर बैसाख जेठ तक बर्फ जमा रहता है। यहाँ पर बाई की एक धर्मशाला बनी हुई है।
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• इस तीर्थ के विषय में मालकम साहब लिखते है कि जब मेरा पोलिटिकल असिस्टैंट कैप्टन टी० टी० स्टुअर्ट सन् १८१८ में केदारनाथ को गया था तब वहाँ पर उसने देखा कि लोग अहिल्याबाई के नाम का कितना आदर करते हैं। उसका हाल