लटकता है । जगमोहन में मंदिरों के दोनों बगलों पर छोटी
छोटी कोठियाँ हैं । दक्षिणवाली कोठी में मंदिर का खजाना और उत्तरवाली में कनकेश्वर का शिवलिङ्ग है और शिव के आगे पाषाण ( मारबल ) का नंदी है । जगमोहन के पूर्व-दक्षिण
३७ चौकोर स्तंभों से काले पत्थर का मंडप बना हुआ है । मंदिर से उत्तर एक छोटे से मंदिर में नारायण के बाएँ - लक्ष्मी और दाहिने अहिल्याबाई की मूर्तियाँ हैं । ये तीनों मूर्तियाँ मारबल की बनी हुई हैं ।
बुद्ध मंदिर के अहाते में उत्तर की ओर जगन्नाथजी का दोमंजिला पुराना मंदिर है और उसी के निकट अहिल्याबाई के बनवाए हुए दोमंजिले मंदिर में राम, लक्ष्मण, जानकी, हनुमान की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं ।
पुष्कर---राजपूताना में पुष्कर स्थान पर अहिल्याबाई ने एक मंदिर और धर्मशाला बनवाई है ।
मथुरा---इस स्थान का कोई विशेष हाल नहीं मिला । परंतु मथुरा निवासी एक सज्जन ने अनुग्रह करके अपनी सनद की नकल करा दी है जो इस प्रकार है ---
श्री मोरया ।
वेदमूर्ती राजेश्री राधाकृष्ण भट त्रिपाठी वास्तव्य मथुरा क्षेत्रस्वामीचे सेवेसी अज्ञाधारक मल्हारजी होलकर कृतानेक दण्डवत । विनंती उपरी तुम्हीं भछे गृहस्थ क्षेत्रवासी जाणून श्री
क्षेत्रीचे पुरोहितपण तुम्हांस दिले असे आमचे वशीचे पुत्र