पृष्ठ:अहिल्याबाई होलकर.djvu/११४

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परंतु ये सब कार्य आज तक उत्तमता से निर्विघ्न और सांगोपांग चल रहे हैं।

अहिल्याबाई के बनवाए हुए देवस्थानों, अन्नसत्रों तथा सदावर्तो की हमने अपनी शक्ति के अनुसार परिश्रम करके खोज की है। यद्यपि सब स्थानों का पता नहीं लगा है तथापि जिन जिन स्थानों का पता है, उनके नाम हम अपने पाठकों के हितार्थ यहाँ पर देते हैं।

सोमनाथ— इसके कई नाम हैं। कोई इसे देवपट्टन, कोई प्रभासपट्टन और कोई पट्टन सोमनाथ अथवा सोमनाथ पट्टन भी कहते हैं। महाभारत में इसका नाम प्रभास पाया जाता है। यह स्थान काठियावाड़ में जूनागढ़ राज्य के अंतगर्त है। सोमनाथ की बस्ती के चारों ओर पत्थर की दीवार (शहरपनाह) बनी हुई है और उसमें कई फाटक हैं। पूर्ववाले फाटक का नाम नाना फाटक हैं। इस फाटक से लगभग २०० गज पश्चिम-उत्तर की ओर बस्ती के मध्य में सोमनाथ महादेव का नया मंदिर है। मंदिर मध्य श्रेणी का बना हुआ है, अर्थात् न बहुत उँचा है और न बहुत नीचा। परंतु शिखरदार है। मूल मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। उसके नीचे १३ फुट लंबे और उतने ही चौड़े तहखाने में सोमनाथ महादेव का लिंग है। उसमें जाने के समय २२ साढियाँ उतरनी पड़ती हैं। इस तहखाने में १६ खंभे हैं। खंभों के बीच में एक बड़े अर्धे पर बड़े आकार के शिव-लिंग है। पश्चिम ओर पार्वती जी, उत्तर में, लक्ष्मी जी, गंगा जी ओर सरस्वती जी और पूर्व की ओर नदी है। यहाँ दिन रात दीपक जला करते हैं।