भूमिका ।
संसार में जितने प्रसिद्ध स्थान तथा नगर हैं उनकी ख्याति के कुछ न कुछ विशेष कारण अवश्य होते हैं । जहां प्राचीन इतिहास हम को पूर्व वैभव का ज्ञान कराता है, वहां प्राचीन स्थान अथवा नगर पूर्व शिल्प तथा अभ्युदय को बतलाते हैं। क्या कारण है कि आज सहस्रों वर्ष के परिवर्तन होने पर भी राम की अयोध्या, कृष्ण की मथुरा, बुद्ध की कपिलवस्तु नगरी का नाम स्मरण करते ही मस्तक नभ जाता है, हृदय तल्लीन हो जाता है और शरीर में रोमांच हो आते हैं? इस में विशेषता यही है कि उपरोक्त स्थानों में इन जगतप्रख्यात महात्माओं ने जन्म लेकर उनकी कीर्ति को चिरस्थायिनी किया है। यही गुप्त रहस्य प्रत्येक प्रख्यात नगर अथवा स्थान के संबंध में कार्य करता हुआ पाया जाता है। ये प्राचीन नगर ही हैं जिनसे आज किसी जाति के अभ्युदय का पता चल सकता है। नगर की रचना तथा उनके शेषांग ही पूर्व मनुष्यों के चरित्र का बोध कराते हैं। बहुत सा काल व्यतीत हो गया, सैकड़ों परिवर्तन हो गए, परंतु आज ये नगर ही हम को प्राचीन सभ्यता का परिचय दे रहे हैं। शोक है कि इन नगरों तथा उनके देवताओं में वाचा शक्ति नहीं है, नहीं तो वे अपने परिवर्तन तथा कष्टों को पूर्ण इतिहास हमको कह सुनाते। बहुत से नगर ऐसे हैं जो नाना प्रकार के परिवर्तन सह कर अब नामशेष हो चुके हैं।