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अहङ्कार

विस्मित होकर वह कहती थी—मुझे ईश्वर के बाग के अनार मिले तो खूब खाऊँ।

अहमद कहता था—स्वर्ग के फल वही प्राणी खा सकते हैं जो बप्तिसमा ले लेते हैं।

तब थायस ने बप्तिसमा लेने की आकांक्षा प्रगट की। प्रभु मसीह में उसकी भक्ति देख कर अहमद ने उसे और भी धर्म कथायें सुनानी शुरू की।

इस प्रकार एक वर्ष बीत गया। ईस्टर का शुभ सप्ताह आया और ईसाइयों ने धर्मोत्सव मनाने की तैयारी की। इसी सप्ताह में एक रात को थायस नींद से चौंकी तो देखा कि अहमद उसे गोद में उठा रहा है। उसकी आँखों में इस समय अद्भुत चमक थी। वह और दिनों की भाँति फटे हुए पाजामें नहीं, बल्कि एक श्वेत लम्बा ढोला चोगा पहने हुए था। उसने थायस को उसी घोरों में छिपा लिया और उसके कान में बोला—आ, मेरे आँखों की पुतली, आ; और बप्तिसमा के पवित्र वस्त्र धारण कर।

वह लड़की को छाती से लगाये हुए चला। थायस कुछ डरी, किन्तु उत्सुक भी थी। उसने सिर चोरो से बाहर निकाल लिया और अपने दोनों हाथ अहमद की गर्दन में डाल दिया। अहमद उसे लिये वेग से दौड़ा चला जाता था। वह एक तंग अँधेरी गली से होकर गुजरा; तब यहूदियों के मुहल्ले को पार किया, फिर एक कब्रिस्तान के गिर्द में घूमते हुए एक खुले मैदान में पहुंचा जहाँ ईसाई धर्माहतों की लाशें सलीबों पर लटकी हुई थीं। थायस ने अपना सिर चोरों में छिपा लिया और फिर रास्ते भर उसे मुँह बाहर निकालने का साहस न हुआ। उसे शीघ्र ही ज्ञात हो गया कि हम लोग किसी तहखाने में चले जा रहे हैं। जब उसने फिर आँख खोली तो अपने को एक तंग खोह में पाया।