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अहङ्कार

मात्र रह जाने पर भी, एक चित्र के रूप में भी, मुझमें इतनी सामर्थ है कि मैं तुम्हारे पात्रों को अपने ऊपर ले सकूँ। हाँ, मुझमें इतनी सामर्थ है। जिसने जीवन में समस्त संसार के पापों का भार उठाया क्या उमका चित्र अब एक प्राणी के पापों का भार भी न उठा सकेगा ? विस्मित क्यों होते हो। आश्चर्य की कोई बात नहीं। विधाता ही ने यह व्यवस्था कर दी थी कि तुम जहाँ जाओगे, थायस तुम्हारे साथ रहेगी। अब अपनी चिर- संगिनी थायस की क्यों अवहेलना करते हो? तुम विधाता के नियम को नहीं तोड़ सकते।

पापनाशी ने पत्थर के फ़र्श पर अपना सिर पटक दिया और भयभीत होकर चीख उठा। अब वह सितारवाहिनी नित्यप्रति दीवार से न जाने किस तरह अलग होकर उस के समीप आ जाती और मन्द स्वाँस लेते हुए उससे रुष्ट शब्दों में वार्तालाप करती । और जब बह विरज प्राणी की लुब्ध चेष्टाओं का बहि- ष्कार करता तो वह उससे कहती—

प्रियतम ! मुझे प्यार क्यों नहीं करते ? मुझसे इतनी निठु- राई क्यों करते हो ? जब तक तुम मुझसे दूर भागते रहोगे, मैं तुम्हें विकल करती रहूँगी, तुम्हे यातनाएँ देती रहूँगी। तुम्हें अभी यह नहीं मालूम है कि मृत स्त्री की आत्मा कितनी धैर्यशालिनी होती है। अगर आवश्यकता हो तो मैं उस समय तक तुम्हारा इतज़ार करूँगी जब तक तुम मर न जाओगे। मरने के बाद भी मैं तुम्हारा पीछा न छोडूंगी। मैं जादूगरिनी हूँ, मुझे तंत्रों का बहुत अभ्यास है। मैं तुम्हारी मृत देह में नया जीव डाल दूँगी जो उसे चैतन्य कर देगा और जो मुझे वह वस्तु प्रदान करके अपने को धन्य मानेगा जो मैं तुमसे माँगने-माँगते हार गई और न पा सकी । मैं उस पुनर्जीवित शरीर के साथ मनमाना सुखभोग