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अहङ्कार

जाऊँगा और कबाब की तरह भून डालूँगा। इस भ्रम में मत रह कि तू मेरे प्राणाधार को यों चुपके से उठा ले जयगा । उसके पहले मैं तुझे संसार से उठा दूँगा।

यह कहकर उसने थायस के कन्धे पर हाथ रखा। लेकिन पापनाशी ने इतनी जोर से धक्का दिया कि वह कई कदम पीछे लड़खड़ाता हुआ चला गया और विखरी हुई राख के समीप चारों- शाने चित्त गिर पड़ा।

लेकिन वृद्ध सौदागर शान्त न वैशा वह प्रत्येक मनुष्य के पास जा-जा कर, गुलामों के कान खींचता, और स्वामियों के हाथों को चूमता और समों को पापनाशी के विरुद्ध उत्तेजित कर रहा था कि थोड़ी देर में उसने एक छोटासा जत्था बना लिया जो इस बात पर कटिवद्ध था कि पापनाशी को कदापि अपने कार्य में सफल न होने देगा। मजाल है कि यह पादरी हमारे नगर की शोभा को भग ले जाय । गर्दन तोड़ देंगे। पूछो धर्माश्रम मे ऐसी रमणियों की क्या ज़रूरत ? क्या ससार में विपत्ति की मारी बुढ़ियों की कमी है ? क्या उनके आँसुओं से इन पादरियों को संतोष नहीं होता कि युवतियों को भी रोने के लिये मजबूर किया जाय !

युवक का नाम सिरोन था । वह धक्का खा कर गिरा, किन्तु तुरंत गर्द झाड़ कर उठ खड़ा हुआ । उसका मुंह राख से काला हो गया था, बाल झुलस गया था, क्रोष और धुयें से दम घुट रहा था। वह देवताओं को गालियाँ देता हुआ उपद्रवियों को भड़- काने लगा। पीछे भिखारियों का दल उत्पात मचाने पर अद्यत था। एक क्षण में पापनाशी तने हुये घूसों, उठी हुई लाठियों और अपमानसूचक अपशब्दों के बीच में घिर गया।

एक ने कहा—मार कर कौवों को खिला दो!

'नहीं जला दो, जीता भाग में डाल दो, जलाकर भस्म कर दों!'