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अहङ्कार

मन्जिलें मार कर आया है। वह तुमे इस भ्रष्ट जीवन से पृथक कर देगा जैसे अँगूर बटोरने वाला माली उन गुच्छों को तोड़ लेता है जो, पेड़ में लगे लगे सड़ जाते है और उसे कोल्हू में ले जाकर सुगंधपूर्ण शराब के रूप में परिणत कर देता है । सुन, इस्कन्द्रिया से केवल १२ घंटे की राहपर, समुद्रतट के समीप वैरागियों का एक आश्रम है जिसके नियम इतने सुन्दर, बुद्धिमत्ता से इतने परिपूर्ण हैं, कि उनको पद्य का रूप देकर सितार ओर तम्यूरे पर गाना चाहिए। यह कहना लेशमात्र भी अत्युक्ति नहीं है कि जो स्त्रियाँ वहाँ पर रहकर उन नियमों का पालन करती है, उनके पैर धरती पर रहते है और सिर प्रकाश पर । वह धन से घृणा करतो है जिसमें प्रभु मसीह उन पर प्रेम करें, लज्जाशील रहती हैं कि वह उन पर कृपादृष्टि-पात करें, सती रहती है कि वह उन्हे प्रेयसी बनायें । प्रभु महीस माली का वेष धारण करके, नंगे पाँव, अपने विशाल बाहु को फैलाये, नित्यप्रति दर्शन देते हैं। उसी तरह उन्होंने साता मरियम को ज्ञान के द्वार पर दर्शन दिये थे। मैं आज तुझे उस आश्रम में ले जाऊँगा, और थोड़े ही दिन पीछे, तुझे इन पवित्र देवियों के सहवास में उनकी अमृतवाणी सुनने का आनन्द प्राप्त होगा। वह बहनों की भाँति वेरा स्वागत करने को उत्सुक हैं। आश्रम के द्वार पर उसकी अध्यक्षिणी माता अलबीना तेरा मुख चूमेंगी और तुझसे सप्रेम स्वर से कहेगी, बेटी, आ, तुझे गोद में लेतू, मैं तेरे लिए बहुत विकत थी।

थायस चकित होकर बोली—

अरे अलबीना ! क़ैसर की बेटी, सम्राट केरस की भतीजी! वह भोग विलास छोड़ कर आश्चम में तप कर रही है।

पापनाशी ने कहा—

हाँ, हाँ, वही वही अलबीना, जो महल में पैदा हुई और