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अहङ्कार


उज्ज्वल, उदार, दयामय हृदय से लगाये हुए स्वर्ग के शान्तिभवन में पहुँचा देगी।'

हरमाडोरस-यह कथा मुझे मालूम थी। मैंने कहीं पढ़ा या सुना है कि अपने एक जन्म में वह 'सीमन' जादूगर के साथ रही। मैंने विचार किया था कि ईश्वर ने उसे यह दण्ड दिया होगा।

ज़ेनाथेमीज़-यह सत्य है, हरमाडोरस, कि जो लोग इन रहस्यों का मंथन नहीं करते उनको भ्रम होता है कि योनिया ने स्वेच्छा से यह यंत्रणा नहीं झेली, वरन् अपने कमों का दण्ड भोगा। परन्तु यथार्थ में ऐसा नहीं है।

कलिक्रान्त-महराज ज़ेनाथेमीज़, कोई बतला सकता है कि वह बार-बार जन्म लेनेवाली हेलेन इस समय किस देश में, किस वेष में, किस नाम से रहती है।

ज़ेनाथेमीज़-इस भेद को खोलने के लिए असाधारण बुद्धि चाहिए, और नाराज न होना कलिक्रान्त, कवियों के हिस्से में बुद्धि नहीं आती। उन्हें बुद्धि लेकर करना ही क्या है? वह तो रूप के संसार में रहते हैं, और बालकों की भाँति शब्दों और खिलौनों से अपना मनोरंजन करते हैं।

कलिक्रान्त-ज़ेनाथेमीज़, जरा ज़बान सँभाल कर बातें करो! जानते हो देवगण कवियों से कितना प्रेम करते हैं। उसके भलों की निन्दा करोगे तो वह रुष्ट होकर तुम्हारी दुर्गति कर डालेंगे। अमर देवताओं ने स्वयं आदिम नीति पदों ही में घोषित की, और उनकी अकाश वणियाँ पदों ही में अवतरित होती हैं। भजन उनके कानों को कितने प्रिय हैं। कौन नहीं जानता कि कविजन ही आत्मज्ञानी होते हैं, उनसे कोई बात छिपी नहीं रहती? कौन नबी कौन पैग़म्बर, कौन अवतार था जो कवि न रहा हो। मैं स्वयं कवि हूँ और कविदेव अपोलो का भक्त हूँ। इसलिए मैं योनिया के