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अहङ्कार


न करो। वह सागर के सप्तदलों के सदृश केवल अपने विकाश की मनोहरता प्रदर्शित करता है, कुदाल नहीं चलाता, सूत नहीं कातता। सृष्टि रचना का श्रम उसने नहीं उठाया। यह इसके पुत्र ईसू का कृत्य था। उसी ने इस विस्तृत भूमण्डल को उत्पन्न किया और तब अपने श्रम-फल का पुनर्संस्कार करने के निमित्त फिर संसार में अवतरित हुआ, क्योंकि सृष्टि निर्दोष नहीं थी, पुण्य के साथ पाप भी मिला हुआ था, धर्म के साथ अधर्म भी, भलाई के साथ बुराई भी।

निसियास-भलाई और बुराई में क्या अंतर है?

एक क्षण के लिए सभी विचार में मग्न हो गये। सहसा हरमोडोरस ने मेज पर अपना एक हाथ फैलाकर एक गधे का चित्र दिखाया जिस पर दो टोकरे लदे हुए थे। एक में श्वेत ज़ैतून के फूल थे, दूसरे में श्याम ज़ैतून के।

उन टोकरों की ओर संकेत करके उसने कहा-

देखो, रंगों की विभिन्नता आँखों को कितनी प्रिय लगती है। हमें यही पसन्द है कि एक श्वेत हो, दूसरा श्याम। दोनों एक ही रंग के होते तो उनका मेल इतना सुन्दर न मालूम होता। लेकिन यदि इन फूलों में विचार और ज्ञान होता तो श्वेत पुष्प कहते-ज़ैतून के लिए श्वेत होना ही सर्वोत्तम है। इसी तरह काले फूल सुफेद फूलों से घृणा करते। हम उनके गुण अवगुण की परख निरपेक्षभाव से कर सकते हैं, क्योंकि हम उनसे उतने ही ऊँचे हैं जितने देवतागण हमसे। मनुष्य के लिए, जो वस्तुओं का एक ही भाग देख सकता है। बुराई बुराई है। ईश्वर की आँखों में, जो सर्वज्ञ हैं, बुराई भलाई है। निस्संदेह ही कुरूपता कुरूप होती है, सुन्दर नहीं होती, किन्तु यदि सभी वस्तुयें सुन्दर हो जायें तो सुन्दरता का लोप हो जायगा। इसलिए परमावश्यक है कि बुराई