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अहङ्कार


विचारों का प्रचार किया था। वह ईसू के अनादित्व पर विश्वास नहीं करता था। उसका कथन था कि जिसने जन्म लिया वह कदापि अनादि नहीं हो सकता। पुराने विचार के ईसाई, जिनका मुख पात्र 'नीसा' था, कहते हैं कि यद्यपि मसीह ने देह धारण की किन्तु वह अनन्तकाल से विद्यमान है। अतएव नीसा के भक्त एरियन को विधर्मी कहते थे, और एरियन के अनुयायी नीसा के अनुगामियों को मूर्ख, मन्दबुद्धि, पागल, आदि उपाधियाँ देते थे। पापनाशी नीसा का भक्त था। उसकी दृष्टि में ऐसे विधर्मी को देखना भी पाप था। इस सभा को वह पिशाचों की सभा समझता था। लेकिन इस पिशाच-सभा में प्रकृत्तवादियों के अपवाद और विज्ञानियों की दुष्कल्पनाओं से भी वह इतना सशंक और चंचल न हुआ था। लेकिन इस विधर्मी की उपस्थिति मात्र ने उसके प्राण हर लिये। वह भागनेवाला ही था कि सहसा उसकी निगाह थायस पर जा पड़ी और उसकी हिम्मत बँध गई। उसने उसके लम्बे, लहराते हुए लहँगे का किनारा पकड़ लिया और मन में प्रभु मसीह की वन्दना करने लगा।

उपस्थित जनों ने उस प्रतिमाशाली विद्वान पुरुष का बड़े सम्मान से स्वागत किया, जिसे लोग ईसाई धर्म का प्लेटो कहते थे। हरमोडोरस सबसे पहले बोला-

परम आदरणीय मार्कस, हम आपको इस सभा मे पदार्पण करने के लिए हृदय से धन्यवाद देते हैं। आपका शुभागमन बड़े ही शुभअवसर पर हुआ है। हमें ईसाई धर्म का उससे अधिक ज्ञान नहीं है जितना प्रगट रूप से पाठशालाओं में पाठ्यक्रम, में रखा हुआ है। आप ज्ञानी पुरुष हैं, आपकी विचार शैली साधारण जनता के विचार शैली से अवश्य ही विभिन्न होगी। हम आपके मुख से उस धर्म के रहस्यों की मीमांसा सुनने के