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अहङ्कार

इनकी दाढ़ी, इनके वस्त्र, वही हैं। इसमें लेश-मात्र भी सन्देह नहीं। मेरी इनसे नाट्यशाला में भेट हुई थी जब हमारी थायस अभिनय कर रही थी। मैं शर्त बद कर कह सकता हूँ कि इन्हें उस समय बड़ा क्रोध आ गया था, और उस आवेश में इनके मुँह से उद्दण्ड शब्दों का प्रवाह-सा आ गया था। यह धर्मात्मा पुरुष हैं, पर हम सबों को आड़े हाथों लेंगे। इनकी वाणी में बड़ा तेज और विलक्षण प्रतिभा है। यदि *[१] मार्कस ईसाइयों का ‡[२] प्लेटो है तो पापनाशी निस्सन्देह †[३] डेमास्थिनीज़ है।

किन्तु फ़िलिना और ड्रोसिया की टकटकी थायस पर लगी हुई थी, मानों वे उसका भक्षण कर लेंगी। उसने अपने केशों में बनफ्शे के पीले-पीले फूलों का हार गूँधा था जिसका प्रत्येक फूल उसकी आँखों की और हलकी आभा की सूचना देता था, इस भाँति के फूल तो उसकी कोमल चितवनों के सदृश थे-आँखें जगमगाते हुये फूलों के सदृश थीं। इस रमणी की छवि में यही विशेषता थी। उसकी देह पर प्रत्येक वस्तु खिल उठती थी, सजीव हो जाती थी। उसके चाँदी के तारों से सजी हुई पेशवाज़ के पाँवचे फ़र्श पर लहराते थे। उसके हाथों में न कंगन थे, न गले में हार। इस आभूषणविहीन छवि में ज्योत्स्ना की म्लान शोभा थी, एक मनोहर उदासी, जो कृत्रिम बनाव सँवारसे अधिक चित्ताकर्षक होती है। उसके सौन्दर्य्य का मुख्य आधार उसकी दो खुली हुई नर्म, कोमल, गोरी गोरी बाहें थीं। फ़िलिना और ड्रोसिया को भी विवश होकर थायस के जूड़े, और पेशवाज़ की प्रशंसा करनी


  1. * मार्कस औरैलियस बड़ा बुद्धिमान, नीतिज्ञ और मानवचरित्र का ज्ञाता था।
  2. ‡ प्लेटो यूनान का सर्वश्रेष्ठ फिलॉसफ़र और राज तथा समाजनीति की व्यवस्था करनेवाला।
  3. † डेमास्थिनीज़, यूनान का वाक्य-वाचस्पति।