पृष्ठ:अलंकारचंद्रिका.djvu/५२

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४८ अलंकारचंद्रिका सूचना-कभी-कभी कविलोग 'निरग' रूपक को मालाकार भी वर्णन करते हैं । यथा- विधि के कमंडलु की सिद्धि है प्रसिद्ध यही, हरिपद पंकज प्रताप की लहर है। कहै 'पद्माकर गिर्गस सीस मंडन की, मुंडन की मात्न ततकान अघहर है। भूपति भगीरथ के ग्थ की सुपुन्यपथ, जन्हुजपयोगफन फैन्न की फहर है। छम की छहर गंगा गवरी नहर, कलिकाल को कहर जगजान को जहर है 11 यहाँ गंगाजी की लहर' पर अनेक आरोप हैं और वे सव निरंग हैं। ९--उल्लेख परिभाषा-किसी निमित्त से एक व्यक्ति का बहु विधि वर्णन 'उल्लेख' कहलाता है । इसके दो भेद हैं- (१) एकहि बहु बहु विधि नखे, (२) इहि बर्गन बहु गति । विवरण- (१) एक ही व्यक्ति को बहुत-से भिन्न-भिन्न व्यक्ति भिन्न-भिन्न विधि से त्तखें, कह वा माने, वही प्रथम उल्लेख होता है । यथा- सवैया-दुर्जन भानु प्रचण्ड लखे नृप सेवक ने ससि पूरन जानें मूरतिवंत मनोज कहै वनिता बसि होतरु रीझे मुजान ॥

  • इस अलंकार को फारसी तथा उर्दू में 'तन्सीकुलसितात'

1 कहते हैं।