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प्रदान करने की कृपा की। श्री० गौरीशंकरजी सत्येन्द्र एम० ए० (मथुरा), और श्री० अम्बाप्रसाद जी तिवारी वकील (उज्जैन) ने अपने संशोधन नोट करके हमारे पास भेजने की कृपा की। श्री शकरसहाय जी सकसेना एम० ए० से श्री० केलाजी ने बरेली लाकर बहुत से शन्दों पर विचार-विनिमय किया। श्री० श्रीधर जी मिश्र एम० ए० ने अगरेजी के कितने ही नये शब्द विचारार्थ प्रस्तुत करने का कष्ट उमया । पश्चात् प्रयाग में लगभग सवा नौ खास खास अँगरेजी शब्दों के पर्यायवाची हिन्दी शब्दों पर विचार करने के लिए दो दिनमीटिंग की गयी । इस अवसर पर इस पुस्तक के तीनों सम्पादकों के अतिरिक्त श्री० कपिलदेव जी उपाध्याय एम० ए० काशी से पधारे। स्थानीय सजनों में श्री० दचात्रेय नारायण पौतनवीस एम० ए०, एल-एल० बी० श्रीधरसी मिश्र एम० ए०, गंगाघर जी इन्दुरकर साहित्य-रस्न, और गुर्ती सुब्रह्मएम एम० ए० साहित्य-रत्न ने इस मीटिंग में भाग लिया। श्री० उपाध्याय जी ने काशी लौटने पर कुछ और भी संशोधन तथा अंगरेजी के शब्द विचारार्थ भेजे। इन सब पर यथा-सम्भव विचार किया गया।

कार हमारी जिस वृहस् अर्थशास्त्र कोष सम्बन्धी सामग्री का उल्लेख किया गया है, उसका उपयोग श्री० मुखसम्मचिराय जो भडारी ने अपनी 'टवेन्टीएच सेंचरी इंगलिश-हिन्दी हिमश्नरी' के प्रथम भाग में किया है। हमने इस शब्दावली के इस सस्करण में अन्यान्य पुस्तको के अतिरित उससे भी लाभ उठाया है।

पिछले संस्करण की तरह हिन्दी पर्यायवाची शब्दों के चुनाव में इस