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घटनापूर्ण चरित्र-चित्रण भी एक ही जगह आपको दिखाई पढ़ेगा। दूसरी ओर राजा साहब, गोविन्दसहाय और रामनाथ- जैसे नर-राक्षसों की तस्वीर भी आपकी आँखों के आगे दौड़ जावेगी, और प्रकाश और श्यामाबाबू -- जैसे आदर्श त्यागी और कर्मनिष्ठ मित्रों का उदाहरण भी आपके मन में आलोड़न करने के लिये विद्यमान है।

यही तो उपन्यास की ख़ुबी है! उपन्यास वास्तव में दुनियाँ का चित्र है -- और दुनियाँ में भिन्न-भिन्न तरह के रङ्ग-बिरङ्गे प्राणियों का समूह एकत्रित है। दुनियाँ के सहन- शील वातावरण में अब्दुलरशीद और ढाॅ० अन्सारी समान रूप से साँस लेते हैं; इस दुनियाँ में फाँसी देनेवाला चाण्डाज और योगिरान अरविन्द एक ही वृक्ष के नीचे निर्हन्द बैठ सकते हैं; इस दुनियाँ में मुर्दे की हड्डी खानेवाला कुत्ता और ठाकुर- जी की पुण्य-मूर्ति एक नदी के जल में स्नान कर सकते हैं। इसी ढँग का वर्णन-चित्रण करनेवाला उपन्यास हमारी समझ में अपने नाम को सार्थक करता है।

'अमर अभिलाषा' इस गुण से सम्पन्न है।

हिन्दी में भान दस-पाँच अच्छे सामाजिक उपन्यास दिखाई देते हैं। 'सेवा-सदन','विदा','माँ','भिखारिणी',