पृष्ठ:अमर अभिलाषा.djvu/३११

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अमर अभिलापा-- i एक मोटे-ये इमाटर माहब पिन्नीन नाने कमरे में घुम प्राये। उन्होंने वहाँ पमिलाकर कहा- -"नी ग्ययादार (पृ. २०७)