उपन्यास २२३ इस प्रकार मालती-जैसी प्रतिष्टित घराने की लड़की के 'एकाएक गायब होने से शहर में हलचल मच गई। चारों तरफ खोज-पड़ताल होने लगी। मालती के घर के लोगों का वो पुरा हाल था । पापी रामनाय भी दो बार उनसे समवेदना प्रक्ट कर भाया था। मालती राजी नहीं होगी-यह उन दोनों को मालूम होगया था, परन्तु कालीवायू ने भी निश्चय कर लिया था, या तो उसे वश में करेंगे, या मार ही डालेंगे। इस प्रकार भासुरी भावना धारण घर, दोनों पापिटों ने बागीचे में प्रवेश फिया। मालती दो-तीन दिन की भूखी-प्यासी थी। सण-क्षण उसे अपनी प्रतिष्ठा भंग होने का भय था। उसने निकल भागने के यया-सम्भय उपाय किये थे, पर वे कुछ भी कारगर न हो पाये थे । वह बहुत-कुच से चुकी थी। कुमुद के वचन उसके साथ थे। थतः उसने एक उपाय स्थिर किया। जिस कमरे में वह बन्द थी, उसमें ऊपर की ओर एक खिड़की थी, उसी के द्वारा यह मागीचे के पिछले हिस्से में सड़क पर थाने जाते स्त्री पुरुषों को अपनी थोर आकृष्ट करने की चेष्टा करती, परन्तु एफ तो वह स्थान ही कुछ निलंन था, दूसरे, उस तरफ किसी का ध्यान ही नहीं नाता था। घमागिनी को इसमें कुछ मफलता नहीं मिली। टसी खिदकी की राह वह निकल भागने की भी बहुधा सोचा - करती। पर वह दूसरे मक्षिल पर थी, और खिड़की के नीचे का
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