पृष्ठ:अभिधर्म कोश.pdf/३९९

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तृतीय कोशस्थान : लोकनिर्देश ३९१ ७८. कुरुओं में आयु १००० वर्ष की है। दो द्वीपों में : अर्घिन्यून है। वहाँ अनियत है किन्तु अन्त में दशाब्द और आदि में अमित है ।' गोदानीय के मनुष्यों की यायु उत्तरकुरु के मनुष्यों की आयु की आवी है, अतः ५०० वर्ष की है। पूर्वविदेह के मनुष्यों की आयु २५० वर्ष की है । जम्बुद्वीप में आयु का प्रमाण नियत नहीं है । कभी दो और कभी अल्प होता है। कल्प के अन्त में (३. ६८ ए) जव अधिक से अधिक ह्रास होता है यह १० वत्सर की होती है और प्राथमकल्पिक (३. ६१ ए) मनुष्यों की आयु अमित होती है : सहस्त्रादि में उसका मान नहीं हो सकता। कामदेवों का आय-प्रमाण उनके अहोरात्र के प्रमाण से लिया जाता है। नृणां वर्षाणि पंचाशदहोरात्रो दिवौकसाम् । कामेश्वराणां तेनायुः पंचवर्षशतानि तु ॥७९॥ द्विगुणोतरमूनिामुभयं रूपिणां पुनः। नास्त्यहोरात्रमायुस्तु फल्पैः स्वाश्रयसंमितैः॥८॥ आरूप्ये विशतिः कल्पसहस्राण्यधिकाधिकम् । महाकल्पः परीत्ताभात् प्रभृत्यर्धमघस्ततः॥८१॥ ७६ ए-८० वी० मनुष्यों के ५० वर्ष का काम के अवर देवों का एक अहोरात्र होता है और इन देवों की आयु ५०० वर्ष की है। ऊध्वं देवों का अहोरात्र और आयु दिगुण होता जाता है।' मनुष्यों के ५० वर्ष चातुर्महाराजकायिकों के एक अहोरात्र के बराबर होते हैं और इनकी आयु ३० दिन का मास और १२ मास का वर्ष ऐसे ५०० वर्ष की होती है। बायस्त्रिंशों का एक अहोरात्र १०० मानव वर्षों का होता है। उनकी आयु १००० वर्ष की होती हैं। यामों का एक अहोरात्र २०० मानव वर्ष का होता है। उनकी आयु २००० वर्ष की होती है । एक्मादि । [१७३] किन्तु यह आक्षेप किया जायगा कि युगन्धर से अवं सूर्य और चन्द्र नहीं होते । फिर कैसे देवों के अहोरात्र नियत है और कैसे देवों को प्रकाश मिलता है ?-- इनके अहोरात्र का व्यव- सहस्रमायुः कुरुषु योरार्धाधवर्जितम् । इहानियतमन्ते तु दशाब्दानादितोऽनितम् ॥ एक आयुष्पर्यन्तसूत्र है, सोमा-फोर पृ. २७८ २६, २१७. विभंग, ४२२: मनुस्सान कित्तकमायुप्पमाणम्। वस्ससतप्पं वा भिय्यो चा।- पिटक के वाक्य के अनुसार ः यो चिरं जीवति सो बस्सतम् . नृणां वर्षाणि पंचाशदहोरात्री दिवौकसाम् । कामोऽधराणां तेनायुः पंच वर्ष शतानि तु॥ द्विगुणोत्तरमूर्वानामभयम्। यह एक सूत्र पर आश्रित है जो अंगुत्तर, ४. २५६-७ (उपसय को प्रशंसा), विभंग, ४२२ के बहुत समीप है। कस्मालोजी, ३०१ में लोकप्रज्ञाप्ति ३६० दिन का वर्ष 'मध्यकाल' का वर्ष है, थोवो, आस्ट्रानोमी, १८९९, पृ०. २८.-सीचे ३.९० ३