७. अप्सरा खोलकर चिपका गया था, वैसा ही था, धक्के से खुल गया। सिपाही को फाटक बंद करने के समय छोटे दरवाज़ का खयाल नहीं पाया। राजकुमार किताबों का बंडल लेकर अपने कमरे में गया । बाक्स का सामान निकाल किताबें भर दी। ताला लगा दिया। जल्दी में जो कुछ सूझा, बाँधकर बत्ती बुझा दी। दरवाजा बंद कर दिया । फिर वह मोटर पर अपना सामान रख भवानीपुर चल दिया । जब भवानीपुर लौटा, तो तीन बजकर पंद्रह मिनट हुए थे। ____ "क्या-क्या लिया, देखू ?" युवती अपना सामान दिखलाने लगी। एक बाक्स में कुछ कपड़े, ८-१० हजार के गहने और २० हजार के नंबरी नोट थे। यह सब उसका अपना सामान था। महरी को मकान की झाड-पोंछ करने के लिये वहीं रहने दिया । रक्षा के लिये चार दरबान थे। युवती ने सबको ऊपर बुलाया। अच्छी तरह रहकर मकान की रक्षा करते हुए सुख- पूर्वक समय पार करने के कुछ उपदेश दिए । दरबानों को विपत्ति की सूचना हो चुकी थी। कुछ न बोले। महरी बाहर से दुखी थी, पर भीतर से एकांत की चिंता से खुश थी। बहू का बाक्स उठाकर एक दरबान ने गाड़ी पर रख दिया। वह राजकुमार के साथ-साथ नीचे उतरी। गेट की बराल में शिवमंदिर था, मंदिर में जा भगवान विश्वनाथ को भूमिष्ठ हो प्रणाम किया। राजकुमार ने ड्राइवर को बुलाया । गाड़ी गेट के सामने लगाए हुए चारो तरफ देख रहा था। अपनी रिस्टवाच में देखा, साढ़े चार हा गया था। ड्राइवर पाया, राजकुमार उतर पड़ा। "जल्दी कीजिए। बहू प्रणाम कर लौट आई। महरी ने पीछे की सीट का दरवाजा खोल दिया । बहू बैठकर कालीजी को प्रणाम करने लगी । बगल में राजकुमार बैठ गया। सामने सीट पर एक दरबान । “अगर कोई पुलिस की तरफ से यहाँ आए, वो कह देना कि मकान
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