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अमरा १७ तारा-"नाइन्टीन" कनक-"नाइन्टीन' चंदन ने कहा, गोइयाँ पर क्या बोलें, पास। राजकुमार के पास रंग नहीं था। पर कनक फिर बढ़ रही थी, उसका पुरुषाचित अकारण बड़प्पन फड़क उठा, कहा-"टुएंटी" (बीस) कनक-ऐक्सेप्ट" (मुझे बीस स्वीकार है) राजकुमार-"टुएंटीवन्(इकोस) कनक-( अच्छी तरह अपनी पचियाँ देखती, मुस्किराती हुई) "ऐक्सेप्ट राजकुमार-"टुएंटी दू" (बाईस) कनक-ऐक्सेप्ट" राजकुमार (विना पत्ते देखे, खुलकर)-'टुएंटी थी" कनक ने हँसकर कहा, पास। राजकुमार ने बड़ी शिथिलता से रंग रक्खा । खेल होने लगा। पहला हाथ चंदन ने लिया । कनक ने एक पेयर दिखलाया। चंदन ने कहा, टुएंटी फ्राइव । राजकुमार के पास पत्तियाँ थीं नहीं । शान पर चढ़ गया था। हारता रहा। खेल हो जाने पर देखा गया, राजकुमारके आधे नहीं बने थे। दो काली बिंदियाँ खुली। राजकुमार बहुत झेपा। ___ गाड़ी बर्दवान पार कर चुकी । खेल होता रहा । अब तक राजकुमार पर तीन काले और चार लाल खुल चुके थे। तारा ने स्टेशन करीब देख तैयार हो रहने के विचार से खेल बंद कर दिया । पहले उसे राजकुमार की बातों से जितना आनंद मिला था, अब हवड़ा ज्यों-ज्यों नजदीक आने लगा, उतना ही हृदय से डरने लगी। मन-ही-मन सकुशल सबके घर पहुँच जाने की कालीजी से प्रार्थना करने लगी । कनक को अच्छी तरह अोढ़ाकर कुछ मुँह ढककर चलने की शिक्षा दी। चंदन ने कहा, कयर हो चुका है, अब मैं जैसा जैसा कहूँ, करो; कहीं मार-पीट की नौबत आएगी, तो तुम्हें सामने कर दूंगा।