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१३. अप्सरा “जी नहीं, गूंगी तो नहीं हूँ।" कनक ने अपनी समझ में बहुत मुलायम करके कहा ! पर तारा की मा के लिये इससे तेज दूसरा उत्तर था ही नहीं, और घर आई हुई से पराजय होने पर भी हमेशा विजय की गुंजायश बनी रहती है । इस प्राकृतिक अनुभूति से स्वतः प्ररित स्वर का मध्यम से धैवत-निषाद तक चढ़ाकर भोएँ तीन जगह से सिकोड़कर, जैसे बहुत दूर की कोई वस्तु देख रही हों-मनुष्य नही, फिर आक्रमण किया-"अकेले इहाँ कैसे आई ?" तारा को इस हद तक आशा न थी। बड़ा बुरा लगा। उसने उसी वक्त बात बना लो-स्टेशन आ रही थीं, अपने मामा के यहाँ से; छोटे साहब से मुलाकात हो गई, तो साथ ले लिया, कहा, एक साथ चलेंगे, मुझे बताया है कि वह भी चलेंगी।" ____"अरे वही कहा न कि अकेले घूमना-विवाह हो गया है कि नहीं ?" तारा की माता के मुख पर शंका, संदेह, नफरत आदि भाव बादलों से पहाड़ी दृश्य की तरह बदल रहे थे। ____"अभी नहीं," कनक को अच्छी तरह देखते हुए ताय ने कहा। मुद्रा से माता ने आश्चर्य प्रकट किया। और और त्रियाँ असंकुचित हँसने लगी । कनक की मानसिक स्थिति बयान से बाहर हो गई। ___ चंदन वहीं दूसरे कमरे में पड़ा था। यह सब आलाप-परिचय सुन रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा । त्रियों ही की तरह निर्लज हंसता हुआ कहने लगा--"अम्मा, बस इसी तरह समझिए, जैसे बिट्टन, जैसे मामा के यहाँ गई हैं, और रास्ते में मैं मिल गया हाऊँ और, मेर खानदान की कोई स्त्री हो, वहाँ टिका लू, फिर यहाँ ले आऊँ। हाँ बिट्टन में और इनमें यह फळ अवश्य है कि बिट्टन को चाहे तो काई भगा ले सकता है, इन्हें नहीं, क्योंकि यह बहुत काफी पढ़ी-लिखी हैं।" ___ तारा की माता पस्त हो गई। बिट्टन उन्हीं की लड़की है। उन १५ साल की, पर अमी विवाह नहीं हुआ। चंदन से विवाह करने के इरादे पर रोक रक्खा है। बिट्टन अपने मामा के यहाँ गई है। तारा को चंदन का जवाब बहुत पसंद आया और कनक के गाल