अप्सरा ____ "बहन, हिंदुओं में अब यह रिवाज नहीं है, मैं एक विश्वामित्र को जानती हूँ, ज्यादा हाल तुम्हें छोटे साहब बतला सकेंगे, वे यह सब मानते भी नहीं और कुछ पढ़ा भी है । वे कहते हैं, आदमी आदमी है, और ऊँचे शास्त्रों के अनुसार सब लोग एक ही परमात्मा से हुए हैं, यहाँ जिस तरह शिक्षा क्रम से बड़े-छोटे का अंदाजा लगाया जाता है, पहले इसी तरह शिक्षा, सभ्यता और व्यवसाय का क्रम रख- कर जातियाँ तैयार की गई थीं, वे और भी बहुत-सी बातें कहते हैं।" ___ कनक ने इस प्रसंग के पहले गुस्से से भोजन बंद कर दिया था, अब खुश होकर फिर खाने लगी। दिल-ही-दिल चंदन से मिलकर तमाम बातें पूछने की तैयारी कर रही थी। तास निविष्ठ चित्त से कनक का भोजन करना देख रही थी। जब से कनक मिली, ताय तभी से उसकी सब प्रकार से परीक्षा कर रही थी। कनक में बहुत बड़े-बड़े लक्षण उसने देखे। उसने किसी भी बड़े खानदान में इतने बड़े लक्षण नहीं देखे । उसकी चाल-चलन, उठना-बैठना, बोलना-बतलाना सब उसके बहुत बड़े खानदान में पैदा होने की सूचना दे रहे थे और उसके एक-एक इंगित में आकर्षण था। सत्रह साल की युवती की इतनी पवित्र चितवन उसने कभी नहीं दखी। सिर्फ एक दोष तारा को मिल रहा था, वह थी कनक की तीव्रता। मुन्नो बाहर से घूमकर पाया। राजकुमार नहाकर ऊपर चला गया था । उसने उँगली पकड़कर कहा, चलिए, खाना तैयार है। फिर उसी तरह चंदन की उँगली पकड़कर खींचा, उठिए । राजकुमार और चंदन भोजन करने चले गए। _____ तारा डब्बा ले आकर पान लगाने लगी। कनक भोजन समाप्त कर उठी । तारा ने पान दिया। पलँग पर आराम करने के लिये कहा और कह दिया कि तीसरे पहर उसके घर की त्रियाँ और उसकी माता मिलेंगी, अभी तक उनको कनक के आने के संबंध में विशेष कुछ मालूम नहीं है । साथ ही यह भी बतला दिया कि एक झूठ परिचय
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