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अपलक ४ नीड़ बनाना चाहते थे तुम मेरी डाल, पर, तब तो था मैं सरस, मैं था नवल रसाल मर चले अब तो मेरे पात, प्राण, अब अपनी कौन बिसात ? जिला जेल, उम्नाव, दिनाङ्क २७ मार्च १९१३ उन्नीस