यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।


क्या करना है। आज सब बदले ले लेना, जन्म जन्म के बैर चुकाना। आने दो अम्मा जी को। तुम्हारे यह कैसे लच्छन हैं जी? ना, हमें यह छिछोरपन अच्छा नहीं लगता। राजी राजी समझती ही नहीं। कुछ बालक हो, वाह जी वाह, सुसराल मे जाकर यही लच्छन सीख आई हो। हटो! मै तुमसे नहीं बोलती। अच्छा, आखिर मतलब भी कहो? काम क्या है? मैं क्यों अनहोनी करूंँ? पानी तुम दे आओ, बुद्धो को भेज दो--मुझ पर ही दण्ड क्यों?

हद हो गई। यह कैसी हठ है? न जाऊँगी-न जाऊँगी-न जाऊँगी, बस-कितनी बार कहूँ? लो मैं रसोई मे जाये बैठती हूँ, नाक में दम कर दिया, चैन नहीं लेने देतीं।

हाय करम! भगवान् ने कैसे दुःख दिये। देखो मेरा जी अच्छा नहीं है। नहीं तो मैं इतना हठ न करती, तुम्हारी बात क्या कभी टाली है? आओ चलो तुम्हारी कोठरी मे चलकर मजे से सोवें। खूब गर्माई रहेगी।

क्यों? इसमे क्या हर्ज है? इसी तरह क्या रोज नहीं सोते थे? आज ही मक्खी ने छीक दिया? चलो, नखरे मत करो। अच्छा देखो आज तुम मेरी बात मानलो--कल जैसा तुम कहोगी मान लूंँगी। बस अब तो राजी! चलो उठो


१२