जब धूसरित सन्ध्या का क्षीयमाण प्रकाश तमाम जगत् को धुंधले अन्धकार मे डूबता अरक्षित छोड़ जाता है, तब तुम उस सुदूर तारे के झरोके से मुझे भटकता देख कर क्या समझती होगी?