पृष्ठ:अनासक्तियोग.djvu/१३९

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बरको अध्याय : विभूतियोम आत्माको मेरे साथ जोड़कर तू मुझे ही पावेगा। ॐ तत्सत् इति श्रीमद्भगवद्गीतारूपो उपनिषद अर्थात् ब्रह्म- विद्यांतर्गत योगशास्त्रके श्रीकृष्णार्जुनसंवादका 'राज- विद्याराजगुह्ययोग' नामक नवां अध्याय । विभूतियोग सातवें, आठवें और नवें अध्यायमें भक्ति आदिका निरूपण करनेके बाद भगवान अपनी अनंत विभूतियोंका कुछ दिग्दर्शन भक्तके लिए कराते हैं। श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो शृणु में परमं वचः । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ १ ॥ श्रीभगवान बोले- हे महाबाहो ! फिर मेरा परम वचन सुन । यह मैं तुझ प्रियजनको तेरे हितके लिए कहूंगा।