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अनामिका कितना अपनाव ?---- प्रेमभाव बिना भाषा का, तानतरल पम्पन वह बिना शब्द-अर्थ की उस समय हृदय में जो कुछ वह आता था, हृदय से चुपचाप प्रार्थना के शब्दों मे परिचय बिना भी यदि कोई कुछ कहता था, अपनाता चिर-कालिक कालिमा-- जड़ता जीवन को चिर-सञ्चित थो दूर हुई । स्वच्छ एक दर्पण- प्रतिबिम्बों की ग्रहण-शक्ति सम्पूर्ण लिये हुए; देखता मैं प्रकृति चित्र, - अपनी ही भावना की छायाएँ चिर-पोषित । प्रथम जीवन में जीवन ही मिला मुझे, चारों ओर । मैं उसे । ।