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क्षमा-प्रार्थना आज वह गई मेरी वह व्याकुल सङ्गीत-हिलोर किस दिगन्त की भोर? शिथिल हो गई वेणी मेरी, शिथिल लाज की ग्रन्थि, शिथिल है आज बाहु-दृढ़-बन्धन, शिथिल हो गया है वह मेरा चुम्बन ! शिथिल सुमन-सा पड़ा सेज पर थन्चल, शिथिल हो गई है वह चितवन चन्चल ! शिथिल आज है कल का फूजन- पिक की पन्चम तान, शिथिल आज वह मेरा आदर- मेरा वह अभिमान!- यौवन-वन-अभिसार-निशा का यह कैसा अवसान ? सुख-दुख की धाराओं में कल बहने की थी अटल प्रतिज्ञा- कितना दृढ़ विश्वास, - -