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अनामिका क्या यह वही देश है बदले किरीट जिसने सैकड़ों महीप-भाल ? क्या यह वही देश है सन्ध्या की स्वर्णवर्ण किरणों में दिग्वधू अलस हाथों से थी भरती जहाँ प्रेम की मदिरा, पीती थीं वे नारियां बैठी झरोखे में उन्नत प्रासाद के ?- बहता था स्नेह-उन्माद नस-नस में जहाँ. पृथ्वी की साधना के कमनीय अङ्गों में ?- ध्वनिमय ज्यों अन्धकार दूरगत सुकुमार, प्रणयियों की प्रिय कथा व्याप्त करती थी जहाँ अम्बर का अन्तराल? आनन्द-धारा बहती थी शत लहरों में अधर के प्रान्तों से, अतल हृदय से उठ -- ६०