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कहाँ देश है ? झुलसाता जल तरल अनल, गलकर गिरता सा अम्बरतल, है प्लावित कर जग को असीम रोदन लहराता; खड़ी दिग्वधू, नयनों में दुख की है गाथा; प्रबल वायु भरती है एक अधीर श्वास, है करता अनय प्रलय का सा भर अलोच्छवास, यह चारों ओर घोर संशयमय क्या होता है ? क्यों सारा संसार आज इतना रोता है ? जहाँ हो गया इस रोदन का शेप, क्यों सखि, क्या है वहीं तुम्हारा देश ? 5 ---

  • महाकवि श्रीरवीन्द्रनाथ ठाकुर की 'निरुहेश यात्रा' से ।