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कहाँ देश है - 'अभी और है कितनी दूर तुम्हारा प्यारा देश ?'- कभी पूछता हूँ तो तुम हँसती हो प्रिय, संभालती हुई कपोलों पर के कुञ्चित केश ! मुझे चढ़ाया बाँह पकड़ अपनी सुन्दर नौका पर, फिर समझ न पाया, मधुर सुनाया कैसा वह संगीत सहज-कमनीय-करठ से गाकर ! मिलन-मुखर उस सोने के संगीत-राज्य में मैं विहार करता था,- मेरा जीवन-श्रम हरता था; मीठी थपकी क्षुब्ध हृदय में तान-तरङ्ग लगाती मुझे गोद पर ललित कल्पना की वह कभी सुलाती, कभी जगाती; जगकर पूछा, कहो कहाँ मैं श्राया ? हँसते हुए दूसरा ही गाना तब तुमने गाया !