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ज्येष्ठ (१) ज्येष्ठ ! करता-कर्कशता के ज्येष्ठ ! सृष्टि के श्रादि ! वर्ष के उज्ज्वल प्रथम प्रकाश ! अन्त ! सृष्टि के जीवन के हे अन्त ! विश्व के व्याधि । चराचर के हे निर्दय त्रास! सृष्टि भर के व्याकुल आह्वान !-अचल विश्वास । सृष्टि भर के शङ्कित अवसान ! -दीर्घ निश्वास ! देते हैं हम तुम्हे प्रेम-आमन्त्रण, आयो जीवन-शमन, बन्धु, जीवन-धन ! (२) घोर-जटा-पिङ्गल मङ्गलमय देव ! योगि-जन-सिद्ध ! घूलि-धूसरित, सदा निष्काम ! उग्र ! लपट यह लू की है या शूल-करोगे बिद्ध उसे जो करता हो आराम !