यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अनामिका मेरे गीतों का छाया अवसाद, देखा जहॉ, वहीं है करुणा, घोर विधाद । "ओ मेरे !--मेरे बन्धन-उन्मोचन ! ओ मेरे!---प्रो मेरे दन-चन्द्रन !" श्रो सेरं अभिनन्दन! ये सन्तप्त लिप्त कब होंगे गीत, हृत्तल मे तव जैसे शीतल चन्दन ? + २१.६.२४.