यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

लीन निज ध्यान म।

यमुना की कल ध्वनि

आज भी सुनाती है विगत सुहाग-गाथा;

तट को बहा कर वह

प्रेम की प्लावित

करने की शक्ति कहती है।

१६ २ २४

३६