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अनामिका इमन-रागिनी की वह मधुर तरङ्ग मीठी थपकी मार करेगी मेरी निद्रा भग जागूंगा जब, सम में समा जायगी तेरी तान, न्याकुल होंगे प्राण, सुप्त स्वरों के छाये सन्नाटे मे गूंजेगा यह भाव, मौन छोड़ता हुआ हृदय पर विरह-व्यथित प्रभाव- "क्या जाने वह कैसी थी आनन्द-सुरा अधरों तक आकर बिना मिटाये प्यास गई जो सूख जलाकर अन्तर !"