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दान वासन्ती की गोद में तरुण, सोहता स्वस्थ-मुख बालारुण; चुम्वित, सस्मित, कुचित, कोमल तरुणियों सदृश किरणें चंचल

किसलयों के अधर यौवन-मद रक्ताममञ्ज उड़ते पटपद खुलती कलियों से कलियों पर नव आशा-नवल स्पन्द भरभर न्यजित सुख का नो मधु-गुजन वह पुजीकृत वन-वन उपवन ; हेम-हार पहने अमलतास, हसता रक्ताम्बर वर पलास; कुन्द के शेष पूजार्घ्यदान, मल्लिका प्रथम-यौवन-शयान; खुलते-स्तबकों की लज्जाकुल नतवदना मधुमाधवी भतुल ;

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