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अनामिका जला शोक-चिह्न, दिया रंग विटप अशोक। . - करती विश्राम, कहीं। नहीं मिला स्थान, अन्ध-प्रगतिबन्ध किया सिन्धु को प्रयाण; उठा उच्च ऊर्मि-भग,- सहसा शत-शत तरङ्ग, क्षुब्ध लुब्ध, नील-अङ्ग- अवगाहन-स्नान, किया वहाँ भी दुर्दम देख तरी विघ्न विषम, उलट दिया अर्थागम बनकर तूफान। १० हुई आज शान्त, प्राप्त कर प्रशान्त-वक्षा 1