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मित्र के प्रति
 

 

सत्य, बन्धु, सत्य; वहाँ
नहीं अर्र-बर्र;
नहीं वहाँ भेक, वहाँ
नहीं टर्र-टर्र।
एक यहीं आठ पहर
बही पवन हहर-हहर,
तपा तपन, ठहर-ठहर
सजल कण उड़े;
गये सूख भरे ताल,
हुए रूख हरे शाल,
हाय रे, मयूर-व्याल
पूंछ से जुड़े!

देखे कुछ इसी समय
दृश्य और-और
इसी ज्वाल मैं लहरे
हरे ठौर-ठौर?

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