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वारिद-वदना (गीत) मेरे जीवन में हस दी हर वारिद-फर! ऐ आकुल-नयने! सुरभि, मुकुल-शयने ! जागी चल-श्यामल पल्लव पर छवि विश्व की सुघर ! पावन-परस सिहरी, मुक्त-गन्ध विहरी, लहरी उर से उर दे सुन्दर तनु आलिङ्गन कर! अपनापन भूला, प्राण-शयन झूला, बैठी तुम चितवन से सञ्चर छाये घन अम्बर 3 NE । १७.८.३८.