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सहज सहज-सहज पग धर आओ उत्तर; देखें वे सभी तुम्हें पथ पर। वह जो सिर बोझ लिये आ रहा, वह जो बछड़े को नहला रहा, वह जो इस-उससे बतला रहा, देखू, वे तुम्हें देख जाते भी हैं ठहर ? उनके दिल की धड़कन से मिली होगी तस्वीर जो कहीं खिली, देखू मैं भी, वह कुछ भी हिली भीतर-भीतर? तुम्हे देखने पर, १२.८,३८.

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