यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उक्ति जला है जीवन यह आतप में दीर्घकाल; सूखी भूमि, सूखे तरु, सूखे सिक्त बालवाल बन्द हुआ गुञ्ज, धूलि- धूसर हो गये कुञ्ज, किन्तु पड़ी व्योम उर वन्धु, नील-मेघ-माला ११.५ ३८..