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अनामिका - पार कर अन्धकार आई जो आकाश पर, सत्य कहो, मित्र, नहीं सकी स्वर्ग प्राप्त कर ? कौन अधिक सुन्दर है-देह अथवा ऑखें ? चाहते भी जिसे तुम-पक्षी वह या कि पॉखें ? स्वर्ग झुक आये यदि धरा पर तो सुन्दर या कि यदि धरा चढे स्वर्ग पर तो सुघर ?" बही हवा नर्गिस की, मन्द छा गई सुगन्ध, धन्य, स्वर्ग यही, कह किये मैंने हग बन्द । , २.१.३८. १८८