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अनामिका वहुत काल बाद अमेरिका-धर्ममहासभा का निनाद विश्व ने सुना, कॉपी संसृति की थी दरी, गरजा भारत का वेदान्त-केसरी। श्रीमत्त्वामी विवेकानन्द भारत के मुक्त-ज्ञानछन्द बँधे भारती के जीवन से गान गहन एक ज्यों गगन से, आये भारत, नूतन शक्ति ले जगी जाति यह रेंगी। स्वामी श्रीमदखण्डानन्द जी एक और प्रति उस महिमा की, करते भिक्षा फिर निरसम्बल भगवा-कौपीन-कमण्डलु-केवल; फिरते थे भार्ग पर जैसे जीवित विमुक्त ब्रह्म-शर । इसी समय भक्त रामकृष्ण के एक ज़मींदार महाशय दिखे। -:

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