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सेवा-प्रारम्भ (यह एक कया है, उस समय फी, जय हम देश में देश के ही लोगों या संस्था द्वारा किसी प्रकार की सेवा प्रचलित न हुई थी। यह कार्य श्रीरामकृष्ण मिशन शुरू करता है। यह कथा जिस घटना के आधार पर है यह बंगाल में घरी यी । परमहंस श्रीरामकृष्ण देव के शिष्य स्वामी विवेकानन्दजी के गुरु भाई स्वामी असरहानन्द जी इस घटना के चरिखनायक है। ये उस समय वहां भ्रमण कर रहे थे । यह सेवा इन्होंने की थी। इसके बाद ससबद्ध रूप से श्रीरामकृष्ण मिशन जोक सेवा करता है। इसके बाद देश में अन्यान्य सेवादल संगठित होते हैं। स्थामी अखएटानन्दजी की इस सेवा के समय स्वामी विवेकानन्द जी थे। स्वामी अस्वयदानन्द जी ने ही स्वामी विवेकानन्दजी को पीड़ित जन-नारायणों की सेवा के लिये प्रवृत्त किया था। बाद को स्वामी अस्त्रगटानन्दजी श्रीरामकृष्ण मिशन के प्रेसीडेन्ट हुये ये- तीसरे । अब इनका देहावसान हो गया है।) है अल्प दिन हुए, भक्तों ने रामकृष्ण के चरण छुए। जगी साधना जन-जन मे भारत की नवाराधना। 1 ।

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