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बसन्त की परी के प्रति 7 आई है फिर मेरी बेला' की यह वेला, 'जुही की कली' की प्रियतम से परिणय-हेला, तुमसे मेरी निर्जन बातें-सुमिलन मेला, कितने भावों से हर जब हो मन पर विहरी- छवि-विभावरी। - - २६.२.३८. ---

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