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- खुला आसमान (गीत) बहुत दिनों बाद खुला आसमान । निकली है धूप, हुआ खुश जहान । दिखीं दिशाएँ, झलके पेड़, चरने को चले ढोर-गाय-भैंस-भेड़, खेलने लगे लड़के छेड़-छेड़- लड़कियाँ घरों को कर भासमान । लोग गाँव-गॉव को चले, कोई वाधार, कोई बरगद के पेड़ के तले जॉघिया-लँगोटा ले, सॅभले, तगड़े-तगड़े सीधे नौजवान । पनघट में बड़ी भीड़ हो रही, नहीं ख्याल आज कि भीगेगी चूनरी, बातें करती हैं वे सब खड़ी, चलते हैं नयनों के सधे बान ।