यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अनामिका उड़ जाते हैं कितने हाथी, कितने घोड़े और सवार। थर-थर पृथ्वी थर्राती है, लाखों घोड़े कस तैयार करते, चढ़ते, बढ़ते-पड़ते मुक पड़ते हैं वीर जुझार। भेद धूम-तल अनल, प्रबल दल चीर गोलियों की बौछार, धेस गोला-बोलों में लाते छीन तोप कर बेड़ी मार; आगे आगे फहराती है ध्वजा वीरता की पहचान, भरती धारा-रुधिर दण्ड मे अड़े पड़े पर वीर जवानः साथ साथ पैदल-दल चलता, रण-मद-मतवाले सब वीर, छुटी पताका, गिरा वीर जब, लेता पकड़ अपर रणधीर, 1 -